हम यह समझने लगे हैं कि शब्द कितने ताकतवर हो सकते हैं

बाहर दुनिया में अंधकार है, लेकिन थोड़ी रोशनी भी है. हमारे पास अभी भी किताबें हैं, हमारे पास कानून है, अभी भी हमारे पास पाठक हैं, हमारे पास त्यौहार हैं, हमारे पास रॉयल्टी चेक और अवार्ड हैं, लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि हम सब साथ हैं.

साधारण का उत्सव और पक्षधरता का रंगमंच: हबीब तनवीर की रंगमंच की राजनीति

हबीब के मन में आपातकाल को लेकर कोई द्वंद नहीं था. चूंकि तनवीर कांग्रेस के कोटे से राज्यसभा में सांसद थे, इसलिये वे विरोध नहीं कर रहे थे. भाकपा भी इस समय आपातकाल के विरोध में नहीं थी, इसलिये हबीब साहब की राजनीतिक लाईन भी सुरक्षित थी.