स्मृति

साधारण का उत्सव और पक्षधरता का रंगमंच: हबीब तनवीर की रंगमंच की राजनीति

हबीब के मन में आपातकाल को लेकर कोई द्वंद नहीं था. चूंकि तनवीर कांग्रेस के कोटे से राज्यसभा में सांसद थे, इसलिये वे विरोध नहीं कर रहे थे. भाकपा भी इस समय आपातकाल के विरोध में नहीं थी, इसलिये हबीब साहब की राजनीतिक लाईन भी सुरक्षित थी.

केदारनाथ सिंह: शोक का सर्कस में बदल जाना

केदारनाथ सिंह जैसी कविता लिखने के चक्कर में कितनी भ्रूण हत्यायें हुई हैं – इसका कोई हिसाब नहीं. उदय प्रकाश का उदाहरण सबके सामने है, जो केदारजी जैसी कविता लिखने के चक्कर में कहानी के घाट जा लगे.

गाने का काम चिड़ियों को करने दो : निकानोर पार्रा

नेरुदा का बंगला एक टावर वाले पत्थर के घर से शुरू हुआ था और बाद में पहाड़ी के साथ-साथ फैलता चला गया था, जबकि पार्रा की विनम्र कॉटेज चीड़ के पेड़ों के एक झुरमुट में कुछ सौ मीटर भीतर थी.

(2018 में) रोहित के मरने से क्या होता है

डेल्टा मेघवाल मरती है और राजस्थान में शराब के दामों पर पुनर्विचार किया जाता है. राहुल गांधी डेल्टा को इंसाफ़ दिलवाने का वादा करते हैं और डेल्टा मेघवाल के मामले में क्या होता है, किसी को कुछ नहीं मालूम. डेल्टा मेघवाल 2018 में एक मौसम की याद सरीखी बनकर रह जाती है.