अभियोग जैसा चांद
कथाकार-पत्रकार अनिल यादव का एक संस्मरण
कथाकार-पत्रकार अनिल यादव का एक संस्मरण
हबीब के मन में आपातकाल को लेकर कोई द्वंद नहीं था. चूंकि तनवीर कांग्रेस के कोटे से राज्यसभा में सांसद थे, इसलिये वे विरोध नहीं कर रहे थे. भाकपा भी इस समय आपातकाल के विरोध में नहीं थी, इसलिये हबीब साहब की राजनीतिक लाईन भी सुरक्षित थी.
केदारनाथ सिंह जैसी कविता लिखने के चक्कर में कितनी भ्रूण हत्यायें हुई हैं – इसका कोई हिसाब नहीं. उदय प्रकाश का उदाहरण सबके सामने है, जो केदारजी जैसी कविता लिखने के चक्कर में कहानी के घाट जा लगे.
नेरुदा का बंगला एक टावर वाले पत्थर के घर से शुरू हुआ था और बाद में पहाड़ी के साथ-साथ फैलता चला गया था, जबकि पार्रा की विनम्र कॉटेज चीड़ के पेड़ों के एक झुरमुट में कुछ सौ मीटर भीतर थी.