इन दिनों भय में रखने का काम कला और बाजार करते हैं
ज्योति शोभा की तीन कविताएं
ज्योति शोभा की तीन कविताएं
हबीब के मन में आपातकाल को लेकर कोई द्वंद नहीं था. चूंकि तनवीर कांग्रेस के कोटे से राज्यसभा में सांसद थे, इसलिये वे विरोध नहीं कर रहे थे. भाकपा भी इस समय आपातकाल के विरोध में नहीं थी, इसलिये हबीब साहब की राजनीतिक लाईन भी सुरक्षित थी.
रवि प्रकाश की तीन कविताएं और उन पर उस्मान खान की टिप्पणी
“आज जब पतन के अजीब और आश्चर्यजनक सिलसिले नजर आ रहे हैं, तब कौन, कहां और कब फिसल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. मैं भी इन सिलसिलों से अलग नहीं हूं.”