मैं उस पीढ़ी में पैदा हुआ जिसे सबसे पहले भाषाओं ने ठगा
रवि प्रकाश की तीन कविताएं और उन पर उस्मान खान की टिप्पणी
रवि प्रकाश की तीन कविताएं और उन पर उस्मान खान की टिप्पणी
“आज जब पतन के अजीब और आश्चर्यजनक सिलसिले नजर आ रहे हैं, तब कौन, कहां और कब फिसल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. मैं भी इन सिलसिलों से अलग नहीं हूं.”