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तो क्या सच में रंगकर्म में इतनी निराशा है?

रंगमंच का माहौल डरपोक, लिजलिजे और चंपू किस्म के लोगों से भरा हुआ है, जिनको अपनी कला और पुरूषार्थ से अधिक अपनी चमचई और कैनवासिंग पर भरोसा है, इसके लिए वो अपनी राह बनाते भी है और दूसरों की राह खोदते भी हैं.